Sunday, June 10, 2007

सामने है प्रश्न अनंत

हर जन प्रदर्शन का अंत गोली से मौत
यह प्रजातंत्र पर है कलंक
भले ही प्रशासन मौन रहे
पर सामने है प्रश्न अनंत

लाठी और जूतो
से पिटाई
क्या किसी ने उन्हे
मानवता नही सिखाई

ये अंग्रेजो की पुलिस तो नही
जो फैला रही है आतंक
हर जन प्रदर्शन का अंत गोली से मौत
यह प्रजातंत्र पर है कलंक
भले ही प्रशासन मौन रहे
पर सामने है प्रश्न अनंत

नेता और आक्रोशित जनता के बीच
पुलिस क्यो बनती दीवार
एक बार हट कर देख ले
आ जायेगा बडा सुधार

तभी मिलेंगे उसे जनता से पूरे अंक
हर जन प्रदर्शन का अंत गोली से मौत
यह प्रजातंत्र पर है कलंक
भले ही प्रशासन मौन रहे
पर सामने है प्रश्न अनंत

चन्द रुपये का मुआवजा देते
नेता यदि एक बार
इतने मुआवजे पर ही
जान देने को हो जाये तैयार

तो अग्रिम भुगतान कर
मिटा देंगे समाज से ये पंक
हर जन प्रदर्शन का अंत गोली से मौत
यह प्रजातंत्र पर है कलंक
भले ही प्रशासन मौन रहे
पर सामने है प्रश्न अनंत

पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’

4 comments:

राजीव रंजन प्रसाद said...

आपाको इतने गंभीर प्रश्न की इतनी सुन्दर व्याख्या करनें और सामाधान के लिये बधाई देता हूँ।

नेता और आक्रोशित जनता के बीच
पुलिस क्यो बनती दीवार
एक बार हट कर देख ले
आ जायेगा बडा सुधार

*** राजीव रंजन प्रसाद

Udan Tashtari said...

सुन्दरता से मुद्दा उठाया है, बधाई!!

Divine India said...

बहुत सहजता से गंभीर विषय को लिया और उसके साथ न्याय किया है…।

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

Pankaj bhai,
swagat.
aapakee saaree kavitaaye^ ek baar meM hee PaDh gayaa.
pasand aaee.
sochane par majboor karde wahee hai sundar rachanaa.
bahut bahut badHaaee.
arvind chaturvedi
http://bhaarateeyam.blogspot.com