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Thursday, July 9, 2009

और कितनी बार मुझे आई.सी.यू. मे भेजा जायेगा?????

और कितनी बार मुझे आई.सी.यू. मे भेजा जायेगा????? -पंकज अवधिया


जुलाई का महिना आया नही कि फिर इस वेबसाइट मे अमेरिका मे इसी माह आयोजित एक कार्यशाला के आमंत्रित अतिथियो मे मेरा नाम दिखने लगा। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था। वेबसाइट पर नाम तो दिखा पर आखिर तक निमंत्रण पत्र नही आया। कार्यशाला के समाप्त होने के बाद कनाडा से एक वैज्ञानिक का फोन आया कि हम तो आपसे मिलने ही इस कार्यशाला मे गये थे पर आप तो आये ही नही। फिर बाद मे ऐसी ही और शिकायते आयी। इस बार भी नाम वेबसाइट मे दिख रहा है और निमंत्रण पत्र का अता-पता नही है।

पिछले साल मेरठ से एक प्रोफेसर का फोन आया कि आपको फलाँ तारीख को मेरठ आना है और शोध-व्याख्यान देना है। तारीख अगले हफ्ते की थी। इतनी अल्प अवधि मे जाना सम्भव नही था। मैने उनसे कहा कि मै तो नही आ पाऊँगा तो वे बिफर पडे और बोले कि आप आ रहे है, ऐसा हमने फंडिंग के लिये जो प्रस्ताव भेजा था, उसमे उल्लेख किया था। अब आप नही आयेंगे तो हमारी बडी फजीहत होगी। मैने कहा कि एक बार मुझसे पूछ तो लेना था। उनका कोई जवाब नही आया। बाद मे पता चला कि मेरे नाम से बडी संख्या मे वनौषधीयो की खेती कर रहे किसानो को बुला लिया गया था। जब उन्होने शोर मचाया तो कह दिया कि मै आई.सी.यू. मे हूँ और खून की उल्टियाँ हो रही है।

पश्चिम बंगाल के मोहनपुर मे आयोजित एक विज्ञान सम्मेलन मे यह प्रचारित किया गया कि मै दिन भर का व्याख्यान दूंगा। मुझे इसकी खबर भुवनेश्वर से एक वैज्ञानिक प्रतिभागी से मिली। मुझे इस सम्मेलन के बारे मे पता ही नही था। मैने वहाँ का फोन घुमाया और कहा कि पंकज अवधिया आयेंगे क्या? तो उधर से आवाज आयी, बिल्कुल आयेंगे। दिन भर रहेंगे। जैसे ही मैने कहा कि मै पंकज अवधिया ही बोल रहा हूँ तो फोन काट दिया गया। सम्मेलन के कुछ घंटो पहले फिर फोन आया कि आप आमन्त्रित है। निश्चित ही मुझे फिर आई.सी.यू. मे भेज दिया गया होगा।

तो अब जब भी आप सुने कि मै आई.सी.यू. मे हूँ तो समझियेगा कि मै सकुशल हूँ। :)