"इन बातो से यह स्पष्ट होता है कि विदेशो तक छत्तीसगढ का धान तो पहुँच गया पर इससे सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान नही पहुँचा। बडी विचित्र स्थिति है। हमारे पास ज्ञान है पर पारम्परिक धान नही और उनके पास हमारा धान है पर वे उसके चमत्कारिक उपयोग से अंजान है। यही बात मुझे शोध पत्रो के माध्यम से इस ज्ञान को प्रकाशित करने से रोकती रही है। आमतौर पर होता यह है कि पारम्परिक ज्ञान जिनके पास धान और धन है उनके पास पहुँचता है। पर इस बार हमे उल्टा करना होगा। कोहिनूर हीरे की वापसी की माँग की तरह अब छत्तीसगढ के परम्परिक चिकित्सको और किसानो को अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानो से अपना औषधीय धान वापस माँगना होगा। ताकि इसके पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान के उपयोग से न केवल यहाँ के लोग रोगमुक्त हो सके बल्कि इस ज्ञान से पूरी दुनिया को रोगमुक्त करके यहाँ के किसान पीढीयो तक धान से लाभार्जन कर सके। "
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कब होगा छत्तीसगढ मे “औषधीय धान क्रांति” का सूत्रपात?
- पंकज अवधिया
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Friday, March 6, 2009
Tuesday, February 19, 2008
औषधीय धान से रोगो की चिकित्सा पढे ज्ञान जी के चिठ्ठे पर
आप इस कडी पर जाकर औषधीय धान के विषय मे रोचक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
http://hgdp.blogspot.com/2008/02/blog-post_20.html
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