Friday, May 2, 2008

क्या आपने हल्दी के पेटेंट का यह नया आवेदन पत्र देखा है?

हल्दी के पेटेंट होने की बात हम सभी समय-समय पर करते रहते है। हल्दी अनंत काल से भारत मे प्रयोग होती रही है। इसके बहुत से उपयोग दस्तावेजो के रुप मे उपलब्ध है पर ज्यादातर ज्ञान अब भी पारम्परिक चिकित्सको के पास है। नेट पर सर्फिंग करते समय अचानक ही मेरी नजर इस पेटेंट के आवेदन पत्र पर पढी जिसमे हल्दी और अदरक के साथ सोयाबीन के प्रयोग से मधुमेह नियंत्रण का दावा किया गया है। यह आवेदन भारतीयो द्वारा किया गया है। इसमे से ज्यादातर वे लोग है जिन पर एक समय मे भारतीय वनस्पतियो और इससे सम्बन्धित ज्ञान को बचाने का जिम्मा था। एक ओर हमारी सरकार कहती है कि दस्तावेजीकरण नही हुआ है। दूसरी तरफ हमारे वैज्ञानिक हल्दी और अदरक से सम्बन्धित नुस्खो को पेटेंट कराने मे जुटे है। यह बात अजीब लगी और यह कभी भी हिन्दी मे जनसाधारण तक नही पहुँचेगी इसलिये मै ये पोस्ट प्रेषित कर रहा हूँ। आप सभी सक्षम लोगो से निवेदन है कि हल्दी पर इस पेटेंट की कोशिश पर नजर रखे ताकि भारतीय ज्ञान की रक्षा हो सके।

इस नुस्खे जैसे बहुत से नुस्खे मेरी मधुमेह से सम्बन्धित रपट मे है जो भारतीय पारम्परिक चिकित्सको के ज्ञान के आधार पर लिखी जा रही है। इसलिये मुझे लगता है कि इस पर भारतीयो का अधिकार होना चाहिये न कि चन्द लोगो का।

http://www.google.com/patents?id=PeGYAAAAEBAJ&dq=curcuma+longa


Curcuma longa हल्दी का वैज्ञानिक नाम है।



4 comments:

अजित वडनेरकर said...

सचमुच जो काम आप कर रहे हैं, वैसा प्रयास विरल है।

आलोक said...

दिलचस्प और अफ़सोस-जनक।

Udan Tashtari said...

सही है

Gyan Dutt Pandey said...

सही है जी, प्रकृति कि नेमत का पूरी मानवता का अधिकार होना चाहिये। केवल पेटेण्टिये का नहीं।