धन्य हो इंटरनेट पर लिखने वालो
जो तुमने बेकसूर वृक्षो का जीवन बचाया है
कागज का परित्याग कर
पर्यावरण संरक्षण का सही पाठ पढाया है
जितने पढने वाले नही उतने अखबार
छ्प रहे है
किसी को सुध नही कि इससे रोज
कितने पेड कट रहे है
अपने स्वार्थ के लिये यह सर्वनाशी जाल
फैलाया है
धन्य हो इंटरनेट पर लिखने वालो
जो तुमने बेकसूर वृक्षो का जीवन बचाया है
कागज का परित्याग कर
पर्यावरण संरक्षण का सही पाठ पढाया है
बेकार उग रहे पौधो से तैयार कागज ही पर
अब अखबार छ्पने चाहिए
वृक्षो की लाशो पर पर्यावरण संरक्षण के नारे
नही दिखने चाहिए
प्राकृतिक असंतुलन ने पहले ही चेताया है
फिर अब मौसम भी गरमाया है
धन्य हो इंटरनेट पर लिखने वालो
जो तुमने बेकसूर वृक्षो का जीवन बचाया है
कागज का परित्याग कर
पर्यावरण संरक्षण का सही पाठ पढाया है
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
7 comments:
आभार!! :)
पंकज भईया धन्यवाद, जो आपने हम पर नजरे इनायत की । अच्छी कविता के लिए भी हमारी शुभकामनायें
अच्छी कविता आपने एकदम सही मुद्दा उठाया है, कंप्यूटर/इंटरनैट पर लिखने से करोड़ो टन कागज की बचत हो सकती है जिससे कि अंततः पर्यावरण का भला होगा।
सही है पंकज जी!!
मुझे यह आश्चर्य हो रहा है कि अभी तक मेरी नज़र आपके चिट्ठे पर क्यों नही गई!!
अपनी इस गलती पर मुझे अफ़सोस है!
बहुत सुंदर....बधाई
सत्य…सुंदर्…और…।
Beautiful!!!
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