अपनी बेटियो को बैलो की जगह
काम पर लगाया
तब जाकर कही किसान बाप
अन्न उपजा पाया
ओ मंत्री जी!
इस अन्न की क्या कीमत देंगे
देश की तथाकथित खुशहाली से
किसान कब तक अछूते रहेंगे
भारत ने अपनी कृषि से
दुनिया मे नाम कमाया
रात-दिन एक करके किसानो ने
अन्न उगाया
फिर भी अब हम क्यो विदेशो का
घटिया गेहूँ खायेंगे
ओ मंत्री जी!
इस अन्न की क्या कीमत देंगे
देश की तथाकथित खुशहाली से
किसान कब तक अछूते रहेंगे
ग्रामीण युवको को खेती से हटाया
उन्हे पढाया
फिर मोबाइल और गुट्खे का
स्वाद लगाया
अब इनके बूढे बाप अपनी व्यथा
किससे कहेंगे
ओ मंत्री जी!
इस अन्न की क्या कीमत देंगे
देश की तथाकथित खुशहाली से
किसान कब तक अछूते रहेंगे
जैविक खेती को मिटा
रासायनो का साम्राज्य जमाया
और खाद-दवा वालो से
खूब कमाया
आखिर कब तक माँओ के आँचल मे
दूध की जगह जहर बहेंगे
ओ मंत्री जी!
इस अन्न की क्या कीमत देंगे
देश की तथाकथित खुशहाली से
किसान कब तक अछूते रहेंगे
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
2 comments:
bahut achhe !!
hindi mein likhne ke liye dhanyavad.....
वाह भईया
बधाई !
"आरंभ" संजीव तिवारी का चिट्ठा
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