अपनी खामी को
बेफिक्र है पर पता नही समुद्र
कब भेज दे सुनामी को
आपदा पर हमारा नियंत्रण नही
पर तैयारी तो जरुरी है
आग लगने पर ही कुआँ खोदने की
क्या मजबूरी है
गल्तियो से सबक लेना चाहिये
हर प्राणी को
कितनी जल्दी हम भूल जाते है
अपनी खामी को
बेफिक्र है पर पता नही समुद्र
कब भेज दे सुनामी को
क्यो ना सफल सुरक्षा के गुर
स्कूल मे ही बता दिये जाये
ताकि बचाव दल के आते तक
कई जाने बच पाये
जो भी करे जल्दी करे और छोडे
आलस और नादानी को
कितनी जल्दी हम भूल जाते है
अपनी खामी को
बेफिक्र है पर पता नही समुद्र
कब भेज दे सुनामी को
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
7 comments:
पंकज भाई
आपकी चिन्ता जायज है और प्रश्न भी. कभी हमने भगवान से प्रश्न कर लिया था जब पिछला सुनामी भारत पर कहर बरपा गया था, देखें:
http://www.hindinest.com/kavita/2003/082.htm
पंकज भईया, सहीं भाव व्यक्त किये हैं देश को सोंचना चाहिए ।
बहुत बढिया रचना है।कविता के जरिए उठाए सवालों कि ओर ध्यान देना सच मे जरूरी है।बहुत सही कहा है-
आपदा पर हमारा नियंत्रण नही
पर तैयारी तो जरुरी है
आग लगने पर ही कुआँ खोदने की
क्या मजबूरी है
समीर जी लिंक मे कौन सा फांट है। पढते नही बन रहा है। मार्गदर्शन करे।
सत्य चरितार्थ किया है और जायज है आपकी चिंता…।
भाई मेरे लिंक अंग्रेजी मे है:
http://www.hindinest.com/kavita/2003/082.htm
या यहाँ क्लिक करें.
click here
अब ठीक है। अच्छी रचना है।
अभी सीख रहा हूँ। फिर अपने ब्रलाग से लिंक भी दूँगा।
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