Saturday, July 14, 2007

तब तो न था दामन मैला

एड्स को जानने के बाद ही
यह क्यो फैला
हम तो पहले से बढ रहे थे पर
तब तो न था दामन मैला

मै इसे षडयंत्र
क्यो ना कहूँ
सब जानकर भी
चुप क्यो रहूँ

बाद मे दवा करने विदेशी दे गये
हमे इस रोग का थैला
एड्स को जानने के बाद ही
यह क्यो फैला
हम तो पहले से बढ रहे थे पर
तब तो न था दामन मैला

पहले इसे
लाइलाज बताते है
फिर बचाव और उपचार की
दुकान लगाते है

हमेशा की तरह फिरंगियो ने
हमसे खेल है खेला
एड्स को जानने के बाद ही
यह क्यो फैला
हम तो पहले से बढ रहे थे पर
तब तो न था दामन मैला

क्यो नही हम अब तो
सम्भल जाते
रोग फैलाकर प्रपंच करते लोगो की अक्ल
ठिकाने लगाते

इस षडयंत्र का पर्दाफाश ही होगा
नहले पर दहला

एड्स को जानने के बाद ही
यह क्यो फैला
हम तो पहले से बढ रहे थे पर
तब तो न था दामन मैला
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित

4 comments:

Udan Tashtari said...

फैल तो पहले से ही रहा था मगर अज्ञानतावश हम इसे पहचान नहीं पा रहे थे और कोई रोक थाम भी नहीं की जा रही थी.

बचाव के लिये की जा रही पहल सार्थक है. हम सबको इसके प्रति जागरुक होना चाहिये. मैं नहीं समझता कि इसमें कोई साजिश की बू आना चाहिये, मित्र.

मात्र मेरी सोच है. कृप्या अन्यथा न लें.

Pankaj Oudhia said...

प्रतिक्रिया के लिये धन्यवाद। आप इस लेख को पढे तब आपको सत्य का अहसास होगा।
एड्स का अर्थशास्त्र और राजनीति
http://iyatta.blogspot.com/2007/07/blog-post_2908.html

36solutions said...

सहीं है भईया ।

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

भाई दर्द जी ! प्रतिक्रिया और लिंक देने के लिए धन्यवाद. हम जल्द ही इस कविता का भी लिंक देंगे.