वृक्षारोपण के नाम पर फिर
पतले विदेशी वृक्ष लगेंगे इस बार
और पुण्य का दम्भ भर कर
अपनी ही पीठ थपथपायेगी सरकार
सघन आबादी मे प्राण वायु का संचार
करते है पीपल और बरगद
पर आधुनिक योजनाकार मानते है
इन्हे विकास मे बाधक
यह जानते हुये कि ये ही
मिटा सकते है पर्यावरणीय विकार
वृक्षारोपण के नाम पर फिर
पतले विदेशी वृक्ष लगेंगे इस बार
और पुण्य का दम्भ भर कर
अपनी ही पीठ थपथपायेगी सरकार
वृक्ष मे जीवन है
यह सभी जानते है
फिर वृक्ष की कटाई को
’हत्या’ क्यो नही मानते है
पुराने वृक्षो को बचाने नये हरे कानूनो की है अब दरकार
वृक्षारोपण के नाम पर फिर
पतले विदेशी वृक्ष लगेंगे इस बार
और पुण्य का दम्भ भर कर
अपनी ही पीठ थपथपायेगी सरकार
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
4 comments:
पर्यावरण संरक्षण की चेतना जगाने की दिशा में सार्थक पहल करती रचना. बधाई.
सही लिखा है
सही लिखा है!
संवेदनशील कविता है। बधाई
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