मनमोहन मजे से सरकार चला रहे है
देश को सुपर पावर बना रहे है
पर उससे क्या
बेरोजगारी से युवाओ के जीवन-स्वप्न
बिखरते जा रहे है
मच्छर तो बढते जा रहे है।
मेरे देशवासी
मलेरिया और डेंगू से मरते जा रहे है॥
वैज्ञानिक भी बढ रहे है
और हो रहे है महंगे शोध
विदेशो की य़ात्राऐ हो रही
नही कोई अवरोध
पर उससे क्या
भारी कर्ज किसानो का जीवन
हरते जा रहे है
मच्छर तो बढते जा रहे है।
मेरे देशवासी
मलेरिया और डेंगू से मरते जा रहे है॥
अमीरो के महंगे घरो और कारो
से भरे पडे है सम्वाद माध्यम
खूब विज्ञापन मिलते है
रुतबा भी नही कम
पर उससे क्या
आम लोग अब भी
सही न्याय की गुहार करते जा रहे है।
मच्छर तो बढते जा रहे है।
मेरे देशवासी
मलेरिया और डेंगू से मरते जा रहे है॥
एडस क़ॆ ळिय़ॆ
पैसॉ की भरमार है
महंगी दवाओ का
लगा अम्बार है
पर उससे क्या
गरीब अभी भी दो जून की रोटी
के लिये तरसते, तडपते जा रहे है।
मच्छर तो बढते जा रहे है।
मेरे देशवासी
मलेरिया और डेंगू से मरते जा रहे है॥
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
2 comments:
अच्छी रचना है..बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद्
ये सब हो रहा है
कोई हंसता कोई रो रहा है
आप भी कविता लिख रहे हो
पर उससे क्या!
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