मेरी कविता
पंकज अवधिया का हिन्दी ब्लॉग
Saturday, February 16, 2008
अश्रु और पानी
चार पंक्तियाँ-2
अश्रु और पानी
अश्रु तुम पानी की तरह बरसो
पर पानी तुम अश्रु की तरह मत बरसो
मानव तुम भी मानव पर बरसो प्रेम फुहार बन
उस पर शत्रु की तरह मत बरसो
पंकज अवधिया 'दर्द हिन्दुस्तानी'
© सर्वाधिकार सुरक्षित
स्कूल के दिनो मे लिखी कविता।
1 comment:
ghughutibasuti
said...
बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती
February 17, 2008 at 9:30 AM
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1 comment:
बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती
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