Sunday, February 17, 2008

प्रार्थना

हे प्रभु! हमे न सूखा,

न बाढ चाहिये

न सूखा

न तूफानी आषाढ चाहिये

हमे चाहिये सीमित जल।

सुनहरा कल।

पंकज अवधिया दर्द हिन्दुस्तानी

© सर्वाधिकार सुरक्षित

स्कूल के दिनो मे लिखी कविता।

2 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

आप प्रार्थना करते रहें - भगवान जो भी देता है - छप्पर फाड़ कर देता है! :-)

36solutions said...

वाह पंकज भईया, पिछले पोस्‍टों में लगातार उपस्थित है 'दर्द हिन्‍दुस्‍तानी' । आपका कवि मन मुखरित हुआ है, धन्‍यवाद ।

संजीव