हिन्दी ब्लाग जगत की वे बेहतरीन रचनाएँ जिन्होने मुझे प्रभावित किया-3
- पंकज अवधिया
दम बनी रहे, घर चूता है तो चूने दो
13 जनवरी, 2008 को हिन्दिनी ब्लाग पर माननीय अनूप शुक्ल जी यानि फुरसतिया जी की यह प्रस्तुति पूरे हिन्दी ब्लाग परिवार को शोकाकुल कर गयी। पूरा ब्लाग परिवार उनके साथ खडा हो गया। आज इतने महिनो के बाद भी जब मै इस प्रस्तुति को पढता हूँ तो रो पडता हूँ। सबको ऐसा प्रेम करने वाले भाई और ऐसा परिवार मिले। अनूप जी लिखते है-
“भाई जब बचपन में घर से गये थे तो उसका अंदेशा मुझे हो गया था। मैं साथ-साथ भागता चला गया था और सारे रास्ते पिटते रहने के बावजूद अपने भाई को वापस लेकर लौटा था।
इस बार ऐसा हुआ कि भाई दुनिया से चला गया बिना किसी सूचना के। हमें मौका भी न मिला कि हम पीछा करते हुये उसको पकड़कर वापस ले आते। सिर्फ़ समय के हाथ पिट रहे हैं। समय शायद को पता है कि हमारे पीटने के लिये उठने वाले किसी भी हाथ को तोड़ देने वाला भाई चला गया है।
हम पिट रहे हैं लेकिन हमें अपने भाई की आवाज साफ़ सुनाई दे रही है - दम बनी रहे , घर चूता है तो चूने दो।“
http://hindini.com/fursatiya/?p=384
भूमिका: हिन्दी ब्लाग परिवार मे शामिल होने के बाद मैने अनगिनत चिठ्ठे पढे और इनमे प्रकाशित विचारो/लेखो/निबन्धो/कहानियो ने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया। यह मेरा कर्तव्य है कि मै फिर इन खूबसूरत मोतियो को आपके सामने प्रस्तुत करुँ ताकि आप हिन्दी ब्लागरो के अविस्मरणीय योगदान को एक बार फिर से जान सके।
6 comments:
अनूप जी की इस रचना ने महिनों मुझे परेशान किया और आज भी अक्सर करती है.
आपका आभार..आप इस लिंक को लाये.
umda !
yes this post touched my soul also
बड़ा भले का काम कर रहे हैं आप। और यह पोस्ट वास्तव में दमदार है अनूप शुक्ल जी की।
काफी संजीदगी से लिखी गयी प्रविष्टि है यह अनूप जी की । आप ने पुनः स्मरण किया । आभार ।
अनूप जी की यह रचना मुझे ब्लॉग की ही नहीं अब तक की सभी पढ़ी हुई रचनाओं में सबसे भावुक लगती है !
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