हिन्दी ब्लाग जगत की वे बेहतरीन रचनाएँ जिन्होने मुझे प्रभावित किया-2
- पंकज अवधिया
आज तुमने फिर बहुत सुन्दर लिखा है!!
24 सितम्बर, 2007 को माननीय समीर लाल जी के उडन तश्तरी नामक ब्लाग पर की गयी यह प्रस्तुति आँखो को नम कर देती है, विशेषकर इस प्रस्तुति का वह भाग जिसमे उन्होने कनाडा से लौटते अपने पिताजी के विषय मे भरे मन से लिखा है। परदेस मे बसे व्यथित ह्र्दय की यह अभिव्यक्ति कभी भी नही भुलायी जा सकती है।
“अभी कुछ घंटे पहले ही उन्हें हवाई जहाज पर बैठा कर लौटे हैं. घर तो जैसे पूरा खाली खाली लग रहा है. दादा जी के जाने से तीनों चिड़िया भी उदास है, जो शाम को उनको अपनी चीं चीं से हैरान कर डालती थीं, आज वो भी चीं चीं नहीं कर रहीं. पत्नी चुपचाप अनमनी सी बैठी टीवी देख रही है, जैसे अब उसके पास कोई काम करने को ही नहीं बचा. “
http://udantashtari.blogspot.com/2007/09/blog-post_24.html
भूमिका: हिन्दी ब्लाग परिवार मे शामिल होने के बाद मैने अनगिनत चिठ्ठे पढे और इनमे प्रकाशित विचारो/लेखो/निबन्धो/कहानियो ने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया। यह मेरा कर्तव्य है कि मै फिर इन खूबसूरत मोतियो को आपके सामने प्रस्तुत करुँ ताकि आप हिन्दी ब्लागरो के अविस्मरणीय योगदान को एक बार फिर से जान सके।
3 comments:
एक अच्छी रचना को फिर से पढ़वाने का शुक्रिया। मानवीय भावनाओ को कागज पर उतारने में समीर जी अद्वितीय हैं।
बहुत आभार पंकज भाई और नितिन भाई आप दोनों का!!
पंकज जी,
श्री समीर लाल जी का वृतांत दिल की गहराईयों तक जाता है।
आपको साधुवाद एक सराहनीय प्रयास के लिये।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
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