हिन्दी ब्लाग जगत की वे बेहतरीन रचनाएँ जिन्होने मुझे प्रभावित किया-4
- पंकज अवधिया
क्या आप मस्तिष्क की चोटों पर वेब साइट बनाने में भागीदारी करेंगे?
19 मार्च, 2007 को माननीय ज्ञानदत्त पांडेय जी के मानसिक हलचल ब्लाग की यह प्रस्तुति एक भारी मानसिक पीडा झेल रहे पिता की प्रस्तुति है जो सक्षम होने के बाद भी अपने पुत्र के लिये ज्यादा कुछ नही कर पा रहा है। ज्ञान जी ऊपर से जितने खुश दिखे पर भीतर से वे शांत नही है। पूरा हिन्दी ब्लाग परिवार सदा ही उनके साथ है। इसी ब्लाग परिवार के साथ इस प्रस्तुति के माध्यम से वे अपना दर्द बाँटते है और सहयोग की अपील करते है।
इस प्रस्तुति मे वे लिखते है-
“मैं ब्रेन-इन्जरी के एक भीषण मामले का सीधा गवाह रहा हूं. मेरा परिवार उस दुर्घटना की त्रासदी सन २००० से झेलता आ रहा है.”
“बहुत समय से मस्तिष्क की चोटों के मामलों पर इन्टर्नेट पर सामग्री उपलब्ध कराने का विचार मेरे मन में है. सिर में चोट लगने को भारत में वह गंभीरता नहीं दी जाती जो दी जानी चाहिये. कई मामलों में तो इसे पागलपन और ओझाई का मामला भी मान लिया जाता है. चिकित्सा क्षेत्र में भी सही सलाह नहीं मिलती. निमहन्स (National Institute of Mental Health and Neurosciences, Bangalore) में एक केस में तो मैने पाया था कि बिहार के एक सज्जन बहुत समय तक तो आंख का इलाज करा रहे थे और नेत्र-चिकित्सक ने यह सलाह ही नहीं दी कि मामला ब्रेन इन्जरी का हो सकता है. जब वे निमहन्स पंहुचे थे तो केस काफी बिगड़ चुका था...”
http://halchal.gyandutt.com/2007/03/blog-post_19.html
भूमिका: हिन्दी ब्लाग परिवार मे शामिल होने के बाद मैने अनगिनत चिठ्ठे पढे और इनमे प्रकाशित विचारो/लेखो/निबन्धो/कहानियो ने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया। यह मेरा कर्तव्य है कि मै फिर इन खूबसूरत मोतियो को आपके सामने प्रस्तुत करुँ ताकि आप हिन्दी ब्लागरो के अविस्मरणीय योगदान को एक बार फिर से जान सके।
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