Friday, July 24, 2009

हिन्दी ब्लाग जगत की वे बेहतरीन रचनाएँ जिन्होने मुझे प्रभावित किया-13

हिन्दी ब्लाग जगत की वे बेहतरीन रचनाएँ जिन्होने मुझे प्रभावित किया-13
- पंकज अवधिया

अटलाँटिक के उस पार : पहली बार अमेरिका


मार्च 19, 2008 को स्वप्नदर्शी जी के ब्लाग “स्वप्नदर्शी” के माध्यम से की गयी यह प्रस्तुति उनके संघर्ष और अथक परिश्रम की कहानी, उनकी अपनी जुबानी, कहती है। भारत मे संघर्ष कर रहे युवा शोधार्थीयो को इससे प्रेरणा मिल सकती है।

इस प्रस्तुति मे वे लिखती है-

“उत्तर-प्रदेश और बिहार के हायर-एजुकेशन कमीशन के इंटरव्यू के लिये भी पटना, इलाहाबाद की खाक छानी. उसके बाद और कई जगह इंटरव्यू दिये, और जिस तरह के वाहियात सवालो से सामना हुआ, उससे मन घ्रिणा से भर गया. एक भूतपूर्व कुलपति ने तो यहाँ तक कहा कि औरतो को रोजगार देने के मतलब एक पूरे परिवार की जीवीका पर लात मारने जैसा है, क्योंकि महिला घर नही चलाती. उसे नौकरी से सिर्फ जेब खर्च मिलता है. यारी दोस्ती मे एक सीनीयर वैग्यानिक ने यहा तक कहा कि महिलाओ को अगर वो खाते-पीते परिवार की है तो नौकरी नही करनी चाहिये। सिर्फ ऐसी ही हालात मे नौकरी करनी चाहिये, जब वो विधवा हो, भाई न हो और मा-बहन् का बोझ सर पर हो।

कुछ सलाह और चेतावनी ये भी मिली कि अमेरिका/युरोप गयी अविवाहित लड्कियो की शादी के बाज़ार मे कीमत कम हो जाती है, जबकि लडको की कीमत मे भारी इज़ाफा होता है। खैर ये सारी सलाहे मुझे पढे-लिखे लोगों से मिली, देश के कर्णधारो से, और उन लोगों से जो हमारी पीढी के एकादमिक भविष्य गढने का दम रखते है। “

http://swapandarshi.blogspot.com/2008/03/blog-post_19.html



भूमिका: हिन्दी ब्लाग परिवार मे शामिल होने के बाद मैने अनगिनत चिठ्ठे पढे और इनमे प्रकाशित विचारो/लेखो/निबन्धो/कहानियो ने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया। यह मेरा कर्तव्य है कि मै फिर इन खूबसूरत मोतियो को आपके सामने प्रस्तुत करुँ ताकि आप हिन्दी ब्लागरो के अविस्मरणीय योगदान को एक बार फिर से जान सके।

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