हिन्दी ब्लाग जगत की वे बेहतरीन रचनाएँ जिन्होने मुझे प्रभावित किया-10
- पंकज अवधिया
ओ पहाड, मेरे पहाड
नवम्बर 12, 2008 को घुघूती बासूती जी के ब्लाग “घुघूती बासूती” के माध्यम से प्रस्तुत की गयी यह कविता वास्तव मे उनके मन से उद्दाम वेग से निकली अभिव्यक्ति है। जो पहाडो मे जन्मा हो, वो भला पहाडो से दूर कैसे रह सकता है।
इस प्रस्तुति मे वे लिखती है-
ओ पहाड़, मेरे पहाड़,
बुला ले वापिस पहाड़
मन व्याकुल है पाने को
तेरी ठंडी बयार ।
स्वस्थ पवन का जोर जहाँ
घुघुती का मार्मिक गीत जहाँ
काफल पाक्यो त्यूल नईं चाख्यो
की होती गूँज जहाँ ।
हर पक्षी कितना अपना है
हर पेड़ जहाँ पर अपना है
कभी शान्त तो कभी चट्टानें
बहा लाने वाली तेरी नदियाँ ।
http://ghughutibasuti.blogspot.com/2008/11/blog-post_12.html
भूमिका: हिन्दी ब्लाग परिवार मे शामिल होने के बाद मैने अनगिनत चिठ्ठे पढे और इनमे प्रकाशित विचारो/लेखो/निबन्धो/कहानियो ने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया। यह मेरा कर्तव्य है कि मै फिर इन खूबसूरत मोतियो को आपके सामने प्रस्तुत करुँ ताकि आप हिन्दी ब्लागरो के अविस्मरणीय योगदान को एक बार फिर से जान सके।
4 comments:
bahut badhiya kaam ka rrahe hain.
एक से एक मोती चुन कर ला रहे हैं आप.
बहुत बढ़िया रचनाएँ चुनकर लाए हो लेकिन हमें तो आपकी जंगल यात्राओं व प्रकृति के बारे में जानकारी देती रचनाएँ ही सर्वश्रेष्ठ लगती है |
पंकज जी आपने मेरी रचना को सराहा, मुझे बहुत खुशी हुई। प्रकृति के प्रेम में लिखी यह कविता आप जैसे प्रकृति प्रेमी व्यक्ति को पसंद आई यह मेरे लिए सम्मान की बात है। आभार।
घुघूती बासूती
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