भूलन तू कहाँ है
आपस के सारे
द्वेष मिटा दे
मन के सारे
क्लेश मिटा दे
तेरे इंतजार मे खडे हम यहाँ है
भूलन तू कहाँ है
तूने भटकने वालो को
और भटकाया
शिकारियो से जंगल को
बचाया
अब भूलने को अमादा सारा जहाँ है
भूलन तू कहाँ है
पर तू कभी नेताओ के हाथ न पडना
नही तो वे सारे घोटाले भुलवा देंगे
पाँच साल बाद काला हिसाब
कोरा दिखवा देंगे
बुरे हाथो से तो अच्छा तू वहाँ है
भूलन तू कहाँ है
भूलन एक प्रकार की वनस्पति है जिसके विषय मे यह बात प्रचलित है कि उस पर पैर पडने से मनुष्य मे स्मृति लोप हो जाता है। छत्तीसगढ मे तो बच्चा-बच्चा इस बात को जानता है। यदि आप इसका वैज्ञानिक आधार जानना चाहते है तो इन शोध आलेखो को पढ सकते है।
http://www.google.co.in/search?hl=en&q=+site:www.botanical.com+bhoolan+oudhia
http://ecoport.org/ep?SearchType=earticleList&Author=oudhia&Text=bhoolan
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
5 comments:
आपकी यह संदेश देती कविताओं की अदा निराली है, बधाई. जारी रखें.
बहुत खूब!!
अन्य शहरियों की तरह मै भी इस वनस्पति से अपरिचित था, शुक्रिया जानकारी देने के लिए!
"भूलन एक प्रकार की वनस्पति है जिसके विषय मे यह बात प्रचलित है कि उस पर पैर पडने से मनुष्य मे स्मृति लोप हो जाता है। "
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इस वनस्पति पर बॉलीवुड वालों की नजर नहीं पड़ी? वे इसका प्रयोग कर अनेक कथायें बुन सकते हैं. :)
इस जड़ी का पता चले या और जानकारी मिले तो बताइयेगा.
कविता बहुत अच्छी लगी! साधुवाद।
''भूलन'' के बारे में जानकर बहुत आश्चर्य हुआ!
कई वनस्पतियां बड़ी विचित्र होती हैं किंतु 'भूलन' के विषय में जानकर वास्तव में कौतूहल होता है। सुंदर कविता के साथ इस जानकारी के लिए धन्यवाद!
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