Sunday, September 30, 2007

भूलन तू कहाँ है

भूलन तू कहाँ है

आपस के सारे

द्वेष मिटा दे

मन के सारे

क्लेश मिटा दे


तेरे इंतजार मे खडे हम यहाँ है

भूलन तू कहाँ है


तूने भटकने वालो को

और भटकाया

शिकारियो से जंगल को

बचाया


अब भूलने को अमादा सारा जहाँ है

भूलन तू कहाँ है


पर तू कभी नेताओ के हाथ न पडना

नही तो वे सारे घोटाले भुलवा देंगे

पाँच साल बाद काला हिसाब

कोरा दिखवा देंगे


बुरे हाथो से तो अच्छा तू वहाँ है

भूलन तू कहाँ है

भूलन एक प्रकार की वनस्पति है जिसके विषय मे यह बात प्रचलित है कि उस पर पैर पडने से मनुष्य मे स्मृति लोप हो जाता है। छत्तीसगढ मे तो बच्चा-बच्चा इस बात को जानता है। यदि आप इसका वैज्ञानिक आधार जानना चाहते है तो इन शोध आलेखो को पढ सकते है।

http://www.google.co.in/search?hl=en&q=+site:www.botanical.com+bhoolan+oudhia

http://ecoport.org/ep?SearchType=earticleList&Author=oudhia&Text=bhoolan

पंकज अवधिया दर्द हिन्दुस्तानी

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित

5 comments:

Udan Tashtari said...

आपकी यह संदेश देती कविताओं की अदा निराली है, बधाई. जारी रखें.

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब!!

अन्य शहरियों की तरह मै भी इस वनस्पति से अपरिचित था, शुक्रिया जानकारी देने के लिए!

Gyan Dutt Pandey said...

"भूलन एक प्रकार की वनस्पति है जिसके विषय मे यह बात प्रचलित है कि उस पर पैर पडने से मनुष्य मे स्मृति लोप हो जाता है। "
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इस वनस्पति पर बॉलीवुड वालों की नजर नहीं पड़ी? वे इसका प्रयोग कर अनेक कथायें बुन सकते हैं. :)
इस जड़ी का पता चले या और जानकारी मिले तो बताइयेगा.

अनुनाद सिंह said...

कविता बहुत अच्छी लगी! साधुवाद।

''भूलन'' के बारे में जानकर बहुत आश्चर्य हुआ!

महावीर said...

कई वनस्पतियां बड़ी विचित्र होती हैं किंतु 'भूलन' के विषय में जानकर वास्तव में कौतूहल होता है। सुंदर कविता के साथ इस जानकारी के लिए धन्यवाद!