Tuesday, September 11, 2007

पर कोई नही बनना चाहता किसान

बच्चे बनना चाहते है डाँक्टर, इंजीनियर और
सूचना तंत्र के विद्वान
पर कोई नही बनना चाहता
किसान

किसान पर सब करते है
राजनीति
पर कोई नही सुनता उनकी
आप-बीति

उनके बेटे भी छोड गये साथ
तभी तो गाँव हो रहे श्मशान से वीरान
बच्चे बनना चाहते है डाँक्टर, इंजीनियर और
सूचना तंत्र के विद्वान
पर कोई नही बनना चाहता
किसान

मानता हूँ शहरो मे खूब पैसे
कमायेंगे हम
फिर क्या पैसो को ही
खायेंगे हम

इतनी भी नही दूरदर्शिता तो
फिर क्यो कहलाये हम ज्ञानवान
बच्चे बनना चाहते है डाँक्टर, इंजीनियर और
सूचना तंत्र के विद्वान
पर कोई नही बनना चाहता
किसान

क्यो न हर नागरिक दे अपना
योगदान
और जीवन के किसी हिस्से मे बने
जवान या किसान

तभी होगा देश सुरक्षित और
समृध्द होंगे खेत-खलिहान
बच्चे बनना चाहते है डाँक्टर, इंजीनियर और
सूचना तंत्र के विद्वान
पर कोई नही बनना चाहता
किसान

पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित

7 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

पंकज जी, किसान ही नहीं, मेरे पास विकल्प थे - ज्यादा वजीफे के साथ कृषि वैज्ञानिक और कम के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर बनने के. सामाजिक दबाव से दूसरा विकल्प चुना. चाहता कृषि वैज्ञानिक बनना था. अंतत: व्यवसाय तीसरा ही चुना. असल में हम जो बनना चाहते हैं - वह कभी बन ही नहीं पाते!
लोग किसान क्यों नही बनना चाहते - वह भी शायद सामाजिक दबाव के चलते है.

ghughutibasuti said...

मेरे खयाल से तो वैसे ही लगभग हर किसान के पास धरती कम है । यदि और लोग भी किसान बनेंगे तो हरेक के हिस्से में और भी छोटा धरती का टुकड़ा आयेगा ।
घुघूती बासूती

अनिल रघुराज said...

किसान बनके हमें का मरनो है...

Unknown said...

बहुत अच्छा लेख लिखा है। आपने आज में जॉब छोडकर खेती कर रहा हु। और बहुत ही खुश हु मेरे इस निर्णय से
जय जवान जय किसान
www.mykisandost.com

Unknown said...

Kisan hi hei jo anna paida kr sakta hei unka jiwan bahut kathin hei..... Whi asli bhagwan hei..... Unhe pranam......pranam....pranam

कवि सुनिल शर्मा "नील" said...

लाजवाब

कवि सुनिल शर्मा "नील" said...

अतिसुन्दर रचना