अपनो को छोड परायो को
क्यो अपनाते हो
जो वाटिका मे देशी की बजाय
विदेशी फूल लगाते हो
बहुत कम जानते है हम
विदेशी फूलो के बारे मे
पालतू जानवरो ही नही
बच्चो के लिये भी है नुकसानदायक ये
क्यो नही किसी विशेषज्ञ की पास जाते हो
अपनो को छोड परायो को
क्यो अपनाते हो
जो वाटिका मे देशी की बजाय
विदेशी फूल लगाते हो
देशी गुलाब, जासौन और चम्पा
चमेली
वीरान मरूस्थल के केक्टस ने क्यो
इनकी जगह ले ली
सस्ते देशी पौधो को छोड महंगे पौधे
क्यो लाते हो
अपनो को छोड परायो को
क्यो अपनाते हो
जो वाटिका मे देशी की बजाय
विदेशी फूल लगाते हो
देशी फूलो के साथ औषधीय पौधे भी
लगाओ
सुन्दरता के साथ अच्छा स्वास्थ्य
भी पाओ
स्वास्थ्य है तो धन है
फिर क्यो बेजान सा मनी-प्लांट उगाते हो
अपनो को छोड परायो को
क्यो अपनाते हो
जो वाटिका मे देशी की बजाय
विदेशी फूल लगाते हो
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
4 comments:
आपने फूल पत्तों की बात की. मेरे घर में तो गुलमेहदी और सूरजमुखी चहक रहे हैं. देसी दूब घनी-हरी है. बेला अभी शान्त है, मक्के के कुछ पौधे हैं. कोई विदेशी पौधा होगा भी तो मुझे उसका नाम नहीं मालूम.
आप जो बात वनस्पति के लिये कहना चाहते हैं - वही मैं विचारधारा और रहन के बारे में कहना चाहता हूं. काहे हम इम्पोर्टेड/कॉम्प्लीकेटेड बनते हैं?
पंकज भईया, नमस्कार
ज्ञान दत्त जी का मेधा आपकी वनस्पति, कमाल है ।
बधाई हो ।
बस यही तो समझने की बात है।
धीरे धीरे आकर्षण बढ़ रहा है इस तरफ लोगों का. जारुकता का यह यज्ञ जारी रखें.
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