[सन्दर्भ : अनुगूँज 22: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा]
इसे कुछ भी बनाने की
कह ले
पर हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान तो
बन जाये पहले
जिस आदर्श देश का सपना
संजोया था
खुशहाली का जो बीज
बोया था
वह तो जरा फूले और फले
इसे कुछ भी बनाने की
कह ले
पर हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान तो
बन जाये पहले
शाँति का पैगाम तो दुनिया को
दिया
पर अपने लिये उसने कुछ न
किया
कब आयेगा वो दिन जब देश
धमाको से न दहले
इसे कुछ भी बनाने की
कह ले
पर हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान तो
बन जाये पहले
इसके लाल इसे छोड
परदेश जा बस रहे
ऐसे उजडते परिवार की व्यथा
क्या कहे
टूट रहे स्वप्न रूपहले
इसे कुछ भी बनाने की
कह ले
पर हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान तो
बन जाये पहले
किसानो की आत्महत्या
भ्रष्टो के वारे-न्यारे
कौन उखाडेगा समाज के खरपतवार
सारे
ठहरे जरा मैली गंगा कुछ साफ
हो कर बह ले
इसे कुछ भी बनाने की कह ले
पर हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान तो
बन जाये पहले
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
4 comments:
वंदे मातरम !
बधाई !
“आरंभ” संजीव का हिन्दी चिट्ठा
बहुत बढिया है आपकी रचना
दीपक भारतदीप
एक दम सटीक बात कही आप ने !
Well and correctly said. We need to change ourself first. This is the only way to get our Dream Nation.
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