बहुत गिना ली समस्याए हमने
चलो अब उन्हे सुलझाने की भी सोचे
खुद सुधरे समाज को सुधारे और
नयी समस्याओ को जन्मने से रोके
कहने को तो सम्वाद के माध्यम बढ गये
फिर हम क्यो अपनो से दूर हो रहे
पास-पास रह कर भी
अपनी-अपनी दुनिया बना, खो रहे
नही सम्भाल पायेंगे सबको
यूँ अकेले हो के
बहुत गिना ली समस्याए हमने
चलो अब उन्हे सुलझाने की भी सोचे
खुद सुधरे समाज को सुधारे और
नयी समस्याओ को जन्मने से रोके
किसानो की आत्महत्या से आरम्भ करे
फिर भ्रष्टाचार पर कसे नकेल
गाजर घास को भी न छोडे
हिंसा प्रेमियो को गर्त मे दे ढकेल
तब तक चिडिया न चुग जाये खेत
जब तक हम जागे सो के
बहुत गिना ली समस्याए हमने
चलो अब उन्हे सुलझाने की भी सोचे
खुद सुधरे समाज को सुधारे और
नयी समस्याओ को जन्मने से रोके
बन्द करे केवल कोसना और फिर कोसना
बार-बार कोसना
अरे समस्याओ का हल हमे ही
है खोजना
गुटबाजी से नही है, सुझाये समाधान
मन मे सच्ची भारतीयता के बीज बो के
बहुत गिना ली समस्याए हमने
चलो अब उन्हे सुलझाने की भी सोचे
खुद सुधरे समाज को सुधारे और
नयी समस्याओ को जन्मने से रोके
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
3 comments:
बहुत सही, समस्यायें गिनाना मात्र आत्म रति है, समाधान तलाशना सही काम है.
absolutely right
सही है। काश ऐसा हो जाये !
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