मेरे घर आना उडन तश्तरी
मैने विचारो का घरौन्दा बनाया है
नारद, ब्लागवाणी और चिठ्ठाजगत मे
पंजीयन कराया है
अब टिप्पणियो से उसे सजाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
जानता हूँ तुम हो आवारा-बंजारा
फिर भी चाहो तो ज्ञान जी की लोह पथ गमन-गामिनी
इंतजार कर रही तुम्हारा
न बनाना कोई बहाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
जानता हूँ तुम नही हो फुरसतिया
पर फिर भी आ जाओ तो हो जाये
दिल की बतिया
अपने साथ वो चश्मा जरूर लाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम सारथी, तुम सृज़न शिल्पी
तुम बोधिसत्व से
प्रेरणादायक भी
तुम बिन चिठ्ठाजगत वीराना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम ही रवि, तुम ही नीरज
शांत ऐसे कि कभी न खोते धीरज
हमे भी अपने जैसा बनाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम उन्मुक्त, तुम सागर
तुम मन के आलोक
सीधी तुम्हारी डगर
ऐसे ही हिन्दी की अलख सदा जगाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
http://udantashtari.blogspot.com/
नारद
ब्लागवाणी
चिठ्ठाजगत
आवारा-बंजारा
ज्ञान जी
फुरसतिया
नीरज
रवि
http://raviratlami.blogspot.com
उन्मुक्त
सागर
आलोक
सारथी
सृज़न शिल्पी
बोधिसत्व
11 comments:
कहीं तो मैं समीर जी से पहले पहुंचा :-)
bhai waah bahut badhia
आज उड़न तश्तरी ऊपर से ही निकल गई। आप इस तरह तो सभी ब्लाग और लेखकों का जिक्र करते हुए अवश्य ही एक खंडकाव्य की रचना कर सकते हो। इंतजार रहेगा
shaayad bharat prasthan kii tayaari mae lage hae sameer issiliyae unkii udan tashtrii abhi tak aap ke yahaan nahii pahuche gee
aayege , vishwaas rakhe , woh vada nahin karte per nibhate hae , sab ko padhetae hae aur muskaraate haen
बढ़िया नेटवर्किंग की आपने कविता के माध्यम से! आपकी मानसिक उर्वराशक्ति का कायल हो गया मैं। :-)
निमंत्रण हो तो हम भी आजायें :)
वाह!!
क्या पिरोया है आपने सभी को!!
बहुत खूब!!
आभार
भाव विभोर कर दिया आपने पंकज भाई अपने स्नेह से. बस यही स्नेह तो उड़न तश्तरी को बुलाता है अपनों के पास.
रचना जी सही कह रही हैं. जैसे जैसे भारत आने का समय पास आ रहा है, समय कम मिलता जा रहा है.
सभी का बहुत बहुत आभार.
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उड़न तश्तरी का इंतज़ार हमें भी इसी तरह रहता है। आपने खूब लिखा।
वाह मजेदार कविता, सबको लपेट लिया आपने तो। :)
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