Monday, October 22, 2007

मेरे घर आना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी

मैने विचारो का घरौन्दा बनाया है

नारद, ब्लागवाणी और चिठ्ठाजगत मे

पंजीयन कराया है

अब टिप्पणियो से उसे सजाना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी


जानता हूँ तुम हो आवारा-बंजारा

फिर भी चाहो तो ज्ञान जी की लोह पथ गमन-गामिनी

इंतजार कर रही तुम्हारा

न बनाना कोई बहाना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी


जानता हूँ तुम नही हो फुरसतिया

पर फिर भी आ जाओ तो हो जाये

दिल की बतिया

अपने साथ वो चश्मा जरूर लाना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी


तुम सारथी, तुम सृज़न शिल्पी

तुम बोधिसत्व से

प्रेरणादायक भी

तुम बिन चिठ्ठाजगत वीराना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी


तुम ही रवि, तुम ही नीरज

शांत ऐसे कि कभी न खोते धीरज

हमे भी अपने जैसा बनाना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी


तुम उन्मुक्त, तुम सागर

तुम मन के आलोक

सीधी तुम्हारी डगर

ऐसे ही हिन्दी की अलख सदा जगाना उडन तश्तरी

मेरे घर आना उडन तश्तरी

पंकज अवधिया दर्द हिन्दुस्तानी

उडन तश्तरी

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नारद

http://narad.akshargram.com/

ब्लागवाणी

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चिठ्ठाजगत

http://chitthajagat.in/

आवारा-बंजारा

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ज्ञान जी

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फुरसतिया

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नीरज

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रवि

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उन्मुक्त

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सागर

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आलोक

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सारथी

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सृज़न शिल्पी

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बोधिसत्व

vinay-patrika.blogspot.com

11 comments:

उन्मुक्त said...

कहीं तो मैं समीर जी से पहले पहुंचा :-)

Sajeev said...

bhai waah bahut badhia

अविनाश वाचस्पति said...

आज उड़न तश्तरी ऊपर से ही निकल गई। आप इस तरह तो सभी ब्लाग और लेखकों का जिक्र करते हुए अवश्य ही एक खंडकाव्य की रचना कर सकते हो। इंतजार रहेगा

Rachna Singh said...

shaayad bharat prasthan kii tayaari mae lage hae sameer issiliyae unkii udan tashtrii abhi tak aap ke yahaan nahii pahuche gee
aayege , vishwaas rakhe , woh vada nahin karte per nibhate hae , sab ko padhetae hae aur muskaraate haen

Gyan Dutt Pandey said...

बढ़िया नेटवर्किंग की आपने कविता के माध्यम से! आपकी मानसिक उर्वराशक्ति का कायल हो गया मैं। :-)

संजय बेंगाणी said...

निमंत्रण हो तो हम भी आजायें :)

Sanjeet Tripathi said...

वाह!!
क्या पिरोया है आपने सभी को!!

बहुत खूब!!

आभार

Udan Tashtari said...

भाव विभोर कर दिया आपने पंकज भाई अपने स्नेह से. बस यही स्नेह तो उड़न तश्तरी को बुलाता है अपनों के पास.

रचना जी सही कह रही हैं. जैसे जैसे भारत आने का समय पास आ रहा है, समय कम मिलता जा रहा है.

सभी का बहुत बहुत आभार.

Anonymous said...

http://hindiblogdirectory.blogspot.com/
please check this site and give your blog link

arbuda said...

उड़न तश्तरी का इंतज़ार हमें भी इसी तरह रहता है। आपने खूब लिखा।

ePandit said...

वाह मजेदार कविता, सबको लपेट लिया आपने तो। :)