अरे कोई तो मुझे बचा लो
सदियो से तुम्हे ह्रदय रोगो से
बचाया
जब चिंतित दिखे
चैन की नीन्द सुलाया
फिर भी कर रहे हो
काम यह गन्दा
अरे कोई तो मुझे बचा लो
मै हूँ सर्पगन्धा
असंख्य थे हम कभी
वनो मे
पर उखाडकर बेचा हमे
मनो मे
दूसरो का जीवन जो छीन ले
भला यह कैसा है धन्धा
अरे कोई तो मुझे बचा लो
मै हूँ सर्पगन्धा
सरकार ने प्रतिबन्ध लगा
कुछ राहत पहुँचाई
पर फिर भी मै बिकती हूँ
यह है रिश्वतखोरो की बेहयाई
हम मिट गये धरती से तो सोच तेरा क्या होगा
मत बन लालच मे अन्धा
अरे कोई तो मुझे बचा लो
मै हूँ सर्पगन्धा
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
सर्पगन्धा जग-प्रसिध्द औषधीय वनस्पति है जो आधुनिक और प्राचीन सभी चिकित्सा पध्दतियो मे प्रयोग होती है। पहले यह भारतीय वनो मे प्रचुरता से उगती थी पर अविवेकपूर्ण दोहन से अब इसका अस्तित्व खतरे मे है। प्रतिबन्ध के बावजूद यह बाजार मे खुलेआम बिकती है। विशेषज्ञ तो इस तथ्य को अच्छे से जानते है पर आम लोगो तक इस बात को पहुँचाने के लिये मैने कविता का माध्यम चुना है।
4 comments:
आम जन तक बात पहुँचाने के लिये बहुत बढ़िया माध्यम चुना है, बधाई.
बहुत सुंदर तरीके से आपने अपनी कही है ...बधाई
वाह, आपने तरीका बहुत अच्छा चुना. पहले भूलन और अब सर्पगन्धा. ये नाम अब याद रहेंगे.
कविताओं के माध्यम से जड़ी बूटी और वनस्पतियों का आम जन से परिचय करवाने के लिए सही तरीका आजमा रहे हैं आप्।
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