मेरे घर आना उडन तश्तरी
(नयी पंक्तियो के साथ)
मैने विचारो का घरौन्दा बनाया है
नारद, ब्लागवाणी और चिठ्ठाजगत मे
पंजीयन कराया है
अब टिप्पणियो से उसे सजाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
जानता हूँ तुम हो आवारा-बंजारा
फिर भी चाहो तो ज्ञान जी की लोह पथ गमन-गामिनी
इंतजार कर रही तुम्हारा
न बनाना कोई बहाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
जानता हूँ तुम नही हो फुरसतिया
पर फिर भी आ जाओ तो हो जाये
दिल की बतिया
अपने साथ वो चश्मा जरूर लाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम सारथी, तुम सृज़न शिल्पी
तुम बोधिसत्व से
प्रेरणादायक भी
तुम बिन चिठ्ठाजगत वीराना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम ही रवि, तुम ही नीरज
शांत ऐसे कि कभी न खोते धीरज
हमे भी अपने जैसा बनाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम उन्मुक्त, तुम सागर
तुम मन के आलोक
सीधी तुम्हारी डगर
ऐसे ही हिन्दी की अलख सदा जगाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
तुम टिप्पणीकार टिप्पणी मानो
तुम्हारी रचना
आता है तुम्हे आरम्भ ही से
विवादो से बचना
प्रेम की गंगा ऐसे ही बहाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
गन्दगी के सफाई करते जैसे तुम काकेश
तुमसे ही हमारा विकास
तुम अविनाश, कभी ने निकालते
अपनी भडास
दीर्घायु हो पर इसके लिये वजन घटाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
घुघूती से तुम आजाद
नव-अंकुर से ऊर्जावान
तुमसे रौशन कस्बा हमारा
तुम गुणो की खान
ऐसे ही सदा यश कमाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
जैसे ही आती नयी पोस्ट जान जाता यह
तुम्हारा मन संजय
रघु से समर्पित
बिल्कुल निर्भय-अभय
अपना समझना हमे, मन की बात न छुपाना उडन तश्तरी
मेरे घर आना उडन तश्तरी
पंकज अवधिया ‘दर्द हिन्दुस्तानी’
उडन तश्तरी
http://udantashtari.blogspot.com/
नारद
ब्लागवाणी
चिठ्ठाजगत
आवारा-बंजारा
ज्ञान जी
फुरसतिया
नीरज
रवि
http://raviratlami.blogspot.com
उन्मुक्त
सागर
आलोक
सारथी
सृज़न शिल्पी
बोधिसत्व
रचना
http://www.blogger.com/profile/15393385409836430390
अविनाश
http://www.blogger.com/profile/05081322291051590431
टिप्पणीकार
विकास
भडास
घुघूती
आरम्भ
संजय
http://www.blogger.com/profile/07302297507492945366
अभय
http://www.blogger.com/profile/05954884020242766837
रघु
कस्बा
अंकुर
काकेश
खान
6 comments:
लगभग पूरा ब्लॉगरोल तैयार हो रहा है. रचना तो खैर और भावपूर्ण हो ही गई है. :)
समीरलाल जी तो आ ही गये, आपने सच्चे मन से ये पक्तिंयॉं समर्पित की थी। अच्छा लिखा है। बधाई।
निरंतर लिखते रहिऐ हम भी आयेगें। :)
बाप रे! इतने सब को बुलायेंगे तो रायपुर के लिये स्पेशल ट्रेन चलाने की दरकार होगी!
लीजिये हम भी आ गये।
और सुंदर बनती जा रही है यह !!
साधुवाद और आभार दोनो ही स्वीकार करें।
ज्ञान दद्दा!! चला ही दो अब पेशल ट्रेन!!
आ गए, आते रहेंगे।
Post a Comment