Monday, May 19, 2008

अतिथि देवो भव: : वर्तमान परिपेक्ष्य मे कितना प्रासंगिक?

यह हिन्दी लेख देश भर मे छप चुका है। मनुज फीचर्स के सौजन्य से भी। आप इकोपोर्ट मे इसे पढ सकते है। यह पीडीएफ मे है। आप इस कडी पर जाकर डाउनलोड कर सकते है।

http://ecoport.org/ep?SearchType=reference&ReferenceID=557477

3 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

विदेशी लोगों की क्या कहें - भारतीय लेखक/चित्रकार भी आदिवासी मानस में अश्लीलता खोजते पाये जाते हैं। आदिवासी सरलता का दोहन बहुत लोग करते हैं।

Udan Tashtari said...

जाते हैं जनाब. पढ़कर बतायेंगे. :)

डॉ .अनुराग said...

वाकई आपकी सोच थोडी अलग है .....