Wednesday, May 28, 2008
आइये बचाये, भगवान की इस निरीह बुढिया को
http://hgdp.blogspot.com/2008/05/blog-post_28.html
Tuesday, May 20, 2008
वनस्पतियो के साधारण प्रयोग से बचे मच्छरो से
http://hgdp.blogspot.com/2008/05/blog-post_21.html
नंगे होते पहाड, प्रकृति का उजडता संसार
http://ecoport.org/ep?SearchType=reference&ReferenceID=557435
Monday, May 19, 2008
अतिथि देवो भव: : वर्तमान परिपेक्ष्य मे कितना प्रासंगिक?
http://ecoport.org/ep?SearchType=reference&ReferenceID=557477
Saturday, May 17, 2008
तुझे मिर्ची लगी तो मै क्या करुँ
वैसे जिन लोगो ने टिपपणी देकर हौसला आफजायी की है, उनका आभार। उम्मीद है अभी और विघ्न संतोषी सामने आयेंगे और अपनी खुन्नस निकालेंगे। मै तो रवि जी की तरह इनसे गाना गाकर ही निपटूंगा। वैसे उस खिसयानी पोस्ट के बाद अचानक ही साइट ट्रैफिक बढ गया है।
आज नीचे दी गयी कडी पर आप रपट मे जोडे जा रहे पन्नो को देख पायेंगे। रपट तो नही देख पायेंगे क्योकि इसमे पासवर्ड है पर तालिकाओ को देख पायेंगे। जिन्हे शक हो रहा है वे केवल तालिकाओ के ही प्रिंट निकालते चले। शायद ये ही एक हजार से अधिक पन्नो की हो जाये आज रात तक। अभी यह Day 165 पर है। ये रहा लिंक
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Title=Traditional+Shurbut+%28Sherbet%29+based+365+days+schedule+%28VII%29&KeywordWild=CO&TitleWild=CO
रपट की प्रगति मै इस कडी पर रोज पोस्ट कर रहा हूँ।
http://paramparik.blogspot.com/2008/05/blog-post_17.html
अब आप आ ही गये है तो मधुमेह की रपट की कडियो को भी देख ले| इनके भी प्रिंट निकालकर मन को ठंडा कर ले। ये है लिंक
http://www.pankajoudhia.com/botanical-17.htm
शुभकामनाए
अपडेट
हाथ कंगन को आरसी क्या और पढे-लिखे को फारसी क्या।
लीजिये 500 से अधिक नये पन्ने जुड गये रपट मे। Day 165 से अब Day 265 तक की तालिकाए हो गयी। प्रत्येक तालिका का विस्तार से वर्णन अलग। आज ज्यादा जोश था इसलिये कम समय लगा। विघ्न संतोषी जी के ब्लाग से होते हुये दिल्ली के अंग्रेजी दैनिक के पत्रकार मुझ तक पहुँच गये और एक इंटरव्यू ले लिया इस दस्तावेजीकरण पर। यह बोनस हुआ।
इसी बहाने एक बात कहना चाहूंगा। नारी जैसे दिखने वाले फल का समाचार कल धूम मचाता रहा क्योकि यह विदेश से आया था, किसी ने सवाल नही खडे किये पर आज एक देशवासी की पोस्ट आयी तो जडे खोदने के लिये कितनी मेहनत झोक़ दी विघ्नसंतोषी जी ने। यदि इतना समय उन्होने अपने लिये और अपने परिवार के लिये लगाया होता तो कुछ और बात होती। ऊर्जा के सकारात्मक प्रयोग की जरुरत है।
छै घंटे मे औसतन 1000 पन्ने लिख पाने का अनुभव
छै घंटे मे औसतन 1000 पन्ने लिख पाने का अनुभव निश्चित ही अनोखा है। पिछले कुछ समय से मै प्रतिदिन यही कर रहा हूँ। मधुमेह और ह्रदय रोगो की वैज्ञानिक रपटो पर काम चल रहा है। मधुमेह की रपट मे 75,000 से अधिक और ह्रदय रोगो की रपट मे अब 20 हजार से अधिक पन्ने लिखे जा चुके है। पिछले कुछ दिनो मे किये गये कार्यो के अंश आप इन कडियो मे देख सकते है।
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart1&KeywordWild=CO
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart2&KeywordWild=CO
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart3&KeywordWild=CO
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart4&KeywordWild=CO
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart5&KeywordWild=CO
http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart6&KeywordWild=CO
यदि एक पन्ने की टाइपिंग का बाजार भाव पाँच रुपये भी पकडे तो रोज पाँच हजार रुपयो का काम हो जाता है। फिर बाजार मे शायद की कोई रोज एक हजार पन्ने कर पाये बिन गल्ती के। ये सारे काम अपनी जेब से हो रहे है इसलिये बाहरी मदद की तो सोच भी नही सकते।
इतना अधिक लिखने के कारण शरीर पर कुछ बुरे प्रभाव भी हो रहे है। आँखो पर सबसे अधिक असर है। दोनो आँखो के चारो ओर काले चक्र बन जाते है। नीन्द मे भी यह लेखन चलता रहता है। इसलिये लम्बी नीन्द के बाद भी थकान बनी रहती है। शाम को दो घंटे खेलने चला जाता हूँ इसलिये तन और मन तरोताजा हो जाते है।
पहले मै दो से तीन पन्ने ही एक दिन मे लिख पाता था पर वर्तमान गति को पाने मे तीन साल लगे। आगे का लक्ष्य है एक दिन मे 10,000 पन्ने लिखना , कम से कम बीस दिनो तक। इन दोनो रपटो मे इतनी सारी जानकारियाँ है कि इन्हे पूरा करने के लिये यह गति जरुरी है। कभी आप भी प्रयास करियेगा इस गति से लिख पाने का।
आप यह भी पढ ले
http://dardhindustani.blogspot.com/2008/05/blog-post_17.html
For further updates on report, keep visiting this link
Note on Scientific Report titled ‘Traditional medicinal knowledge about herbs and herbal combinations used in treatment of Type II Diabetes in India with special reference to Chhattisgarh’.
by
Pankaj Oudhia
http://ecoport.org/ep?SearchType=earticleView&earticleId=3077&page=-2
Friday, May 16, 2008
चलने लगा है अब हिंदी ब्लागिंग का जादू
मेरा एक ब्लाग है ‘रायपुर मे कौन सी बदबू फैली है अभी’। इसमे रात के अन्धेरे मे फैलाये जाने वाले प्रदूषण की जानकारी मै दर्ज करता हूँ। बहुत दिनो से आम लोग डिस्टलरी की बदबू से परेशान थे। एक रात मे तीन-तीन बार दम घोटू माहौल बन जाता था। कुछ दिनो पहले इस ब्लाग को जस का तस दैनिक छत्तीसगढ ने प्रकाशित किया। इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हुयी और कुछ ही राते सही पर अभी बदबू नही आ रही है। दूसरे तरह के प्रदूषणो पर भी अंकुश लगता दिख रहा है।
मेरा एक लेख ‘ पैसे से खरीदकर जहर खाता है आम आदमी’' के आधार पर मुझे किसानो विशेषकर पंजाब के किसानो के सन्देश आ रहे है। यह आश्चर्य का विषय है कि किसान सीधे ब्लाग पढ रहे है। प्रसार कार्यकर्ताओ के माध्यम से भी नेट पर प्रकाशित हिन्दी लेख किसानो तक पहुँचना शुरु हो चुके है। आज एक फोन आया जिसमे इस लेख के आधार पर मुझे पंजाब मे जैविक खेती पर दिन भर व्याख्यान देने के लिये आमंत्रित किया गया है।
मध्यप्रदेश से एक फोन आया कि हमने धडाधड चिठ्ठी मे सर्पगन्धा पर आपका लेख पढा। धडाधड चिठ्ठी? मेरे विचार से वे चिठ्ठाजगत की बात कर रहे थे। औषधीय और सगन्ध फसलो से जुडे किसान ब्लाग पढ रहे है। महानगरो से बडी कम्पनियो से भी सन्देश आ रहे है। आपको विश्वास नही होगा पर हिन्दी ब्लागिंग आरम्भ करने के बाद मुझे देश भर मे बुलाया जा रहा है और कई हवाई यात्रा का मौका मिला है।
ब्लाग से ली गयी मेरी 5 कविताए, 15 से अधिक लेख और दूसरी सामग्रियाँ देश भर मे छप चुकी है अच्छे पारिश्रमिक के साथ। कई पत्रिकाओ और अखबारो से कृषि पर स्थायी स्तम्भ लिखने के आमंत्रण आये है।
मैने ऍडसेंस नही लगाया है। पर फिर भी कहता हूँ कि ब्लागिंग धनार्जन के व्यापक अवसर देती है। भले ही गूगल को मेरी ब्लागिंग से बहुत पैसे मिल रहे हो जैसा कि लोग अक्सर कहते है, पर अब तक की सफलता के आधार पर यदि गूगल स्वीकारे तो मै उसे दान देना चाहता हूँ। मुफ्त मे किसी से लाभ उठाना अपनी फितरत मे नही। मुझे हिन्दी ब्लागिंग का भविष्य़ उज्जवल दिखता है।
लगता है डिस्टलरी वाले भी ब्लाग पढते है। अभी जैसे ही सोने गया तो फिर बदबू आने लगी। वापस आकर मै आपको इस सत्य से परिचित करा रहा हूँ। सुबह के साढे पाँच बज रहे है। लगता है और प्रयास करने होंगे इस जहरीली हवा से रायपुर वासियो को बचाने के लिये।
Wednesday, May 14, 2008
आधुनिक शहरो मे देशी वनस्पतियो का महत्व
जंगली वृक्षों से शहरी पर्यावरण सुधार का नियोजन करें
http://hgdp.blogspot.com/2008/05/blog-post_14.html
Sunday, May 11, 2008
दर्द हिन्दुस्तानी को Pain हिन्दुस्तानी बनाया
आप ही बताये। आपके कैसे अनुभव रहे? 'Wind Red ' जी भी बताये। क्या कहा कौन 'Wind Red ' ? अरे अपने चहेते समीर लाल जी की बात कर रहा हूँ मै। :)
Tuesday, May 6, 2008
भारतीय सैन्य अभियानो के लिये उपयोगी वनस्पतियाँ
http://hgdp.blogspot.com/2008/05/blog-post_07.html
Friday, May 2, 2008
क्या आपने हल्दी के पेटेंट का यह नया आवेदन पत्र देखा है?
हल्दी के पेटेंट होने की बात हम सभी समय-समय पर करते रहते है। हल्दी अनंत काल से भारत मे प्रयोग होती रही है। इसके बहुत से उपयोग दस्तावेजो के रुप मे उपलब्ध है पर ज्यादातर ज्ञान अब भी पारम्परिक चिकित्सको के पास है। नेट पर सर्फिंग करते समय अचानक ही मेरी नजर इस पेटेंट के आवेदन पत्र पर पढी जिसमे हल्दी और अदरक के साथ सोयाबीन के प्रयोग से मधुमेह नियंत्रण का दावा किया गया है। यह आवेदन भारतीयो द्वारा किया गया है। इसमे से ज्यादातर वे लोग है जिन पर एक समय मे भारतीय वनस्पतियो और इससे सम्बन्धित ज्ञान को बचाने का जिम्मा था। एक ओर हमारी सरकार कहती है कि दस्तावेजीकरण नही हुआ है। दूसरी तरफ हमारे वैज्ञानिक हल्दी और अदरक से सम्बन्धित नुस्खो को पेटेंट कराने मे जुटे है। यह बात अजीब लगी और यह कभी भी हिन्दी मे जनसाधारण तक नही पहुँचेगी इसलिये मै ये पोस्ट प्रेषित कर रहा हूँ। आप सभी सक्षम लोगो से निवेदन है कि हल्दी पर इस पेटेंट की कोशिश पर नजर रखे ताकि भारतीय ज्ञान की रक्षा हो सके।
इस नुस्खे जैसे बहुत से नुस्खे मेरी मधुमेह से सम्बन्धित रपट मे है जो भारतीय पारम्परिक चिकित्सको के ज्ञान के आधार पर लिखी जा रही है। इसलिये मुझे लगता है कि इस पर भारतीयो का अधिकार होना चाहिये न कि चन्द लोगो का।
http://www.google.com/patents?id=PeGYAAAAEBAJ&dq=curcuma+longaCurcuma longa हल्दी का वैज्ञानिक नाम है।