पंकज अवधिया का हिन्दी ब्लॉग
हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक कितने अन्ध-विश्वास?
इस विषय पर पहला आलेख झगडहीन (झगडा कराने वाली) नामक वनस्पति से जुडे विश्वास पर केन्द्रित है। आप इसे संजीव जी के चिठ्ठे ‘आरम्भ’ मे पढ सकते है।
http://aarambha.blogspot.com/2007/12/chhattisgarh-1.html
आप के असीमित ज्ञान से जो लाभ हमें पहुँच रहा है उसको शब्दों में व्यक्त करना सम्भव नहीं. बहुत बदिया काम कर रहे हैं आप.नीरज
नीरज जी से सहमत हूँ. एक एक पोस्ट बहुत लाभकारी... कितना ग्रहण कर पाते हैं हम पर निर्भर करता है.
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2 comments:
आप के असीमित ज्ञान से जो लाभ हमें पहुँच रहा है उसको शब्दों में व्यक्त करना सम्भव नहीं. बहुत बदिया काम कर रहे हैं आप.
नीरज
नीरज जी से सहमत हूँ. एक एक पोस्ट बहुत लाभकारी... कितना ग्रहण कर पाते हैं हम पर निर्भर करता है.
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