Monday, March 31, 2008

यदि मैना बिल्कुल सामने दिखे तो क्या चोर-डाकुओ से धन की हानि होती है?

हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? इस साप्ताहिक लेखमाला मे आज इस विषय पर लेख इस कडी पर जाकर पढे।

http://aarambha.blogspot.com/2008/03/blog-post_31.html

Friday, March 28, 2008

एक सुन्दरी मेरे जीवन मे (भाग-दो)

नखरो के साथ पली सुन्दरी को मनपसन्द भोजन उपलब्ध कराना टेढी खीर बन गया। काफी मशक्कत के बाद आखिर उसका अपना भोजन खोज लिया गया। आप इस लेख मे सुन्दरी के लिये भोजन की खोज के विषय मे पढ सकते है।

http://hamarepets.blogspot.com/2008/03/blog-post_26.html

Thursday, March 27, 2008

यदि पैरो मे गति हो तो क्या कर लेंगी राहे

आज आप यह लेख इस कडी पर जाकर पढ सकते है। यह लेख निज अनुभव पर आधारित है।

http://traditionalmedicine.agoodplace4all.com/post12.php

Wednesday, March 26, 2008

भूमिगत जल और उसका प्रदूषण

क्या आपके बोरवेल से मिलने वाला पानी शुद्ध है? क्या आपने कभी इसकी जाँच करवायी है? या आप बस यह मान बैठे है कि जमीन मे गहराई से आ रहा पानी शुद्ध ही होगा? आप अभी तक इन प्रश्नो से बचते रहे है तो आज ज्ञान जी के ब्लाग पर यह आलेख पढे और अपनी व अपने परिवार की चिंता करे।

http://hgdp.blogspot.com/2008/03/blog-post_26.html

Monday, March 24, 2008

क्या उल्लू का कपाल आपके दुश्मन का सर्वनाश कर सकता है?

हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? - लेखमाला मे इस सप्ताह इस विषय पर लेख पढे आरम्भ पर

http://aarambha.blogspot.com/2008/03/blog-post_24.html

Thursday, March 20, 2008

शराब इस बार फिर तुम होली मनाना

इस बार फिर बोतल से निकलकर

आम लोगो के तन-मन मे घुस जाना

उनसे अपशब्द कहलवाना

शराब इस बार फिर तुम होली मनाना


परेशान है हर शख्स मेरे देश का

मुश्किल है उसके लिये सच कह पाना

पीकर तुम्हे वह सब कुछ है कहता

मिल जाता उसे बहाना


सबकी ही नही अपनी नजरो मे भी उसे गिराना

शराब इस बार फिर तुम होली मनाना


जानते है सब, कैसे करती हो

तुम बर्बाद

हम ही है जिनके बल पर हो

तुम आबाद


मनुष्य़ॉ से सीखे जग, अपने पैरो मे कुल्हाडी चलाना

इस बार फिर बोतल से निकलकर

आम लोगो के तन-मन मे घुस जाना

उनसे अपशब्द कहलवाना

शराब इस बार फिर तुम होली मनाना

पंकज अवधिया दर्द हिन्दुस्तानी

© सर्वाधिकार सुरक्षित

होली मे

हरे-भरे पेडो को भूले अब चलो

मन के अहंकार को जला दे होली मे

जो बुरे विचार मन को है भटकाते

उन्हे मिट्टी मे मिला दे होली मे


उनकी भी सुध ले जो नही है

खुशी मनाने मे सक्षम

जिनके घर चूल्हे न जलते

यदि एक दिन भी न हो श्रम


कुछ बचा ले और

इससे भूखो को कुछ खिला दे होली मे

जो बुरे विचार मन को है भटकाते

उन्हे मिट्टी मे मिला दे होली मे


खूब रंग लिया खुद को

बाहर से

इस बार मन को रंग लेना

भीतर से


शायद ये पत्थर होते मन को

फिर जिला दे होली मे

जो बुरे विचार मन को है भटकाते

उन्हे मिट्टी मे मिला दे होली मे


हर बार मनाया उसने, इस बार

खुद भी मना ले

आज के दिन से शराब को अपना

दुश्मन बना ले


होश मे रहकर परिवार मे

खुशी का कमल खिला दे होली मे

जो बुरे विचार मन को है भटकाते

उन्हे मिट्टी मे मिला दे होली मे

हरे-भरे पेडो को भूले अब चलो

मन के अहंकार को जला दे होली मे

पंकज अवधिया दर्द हिन्दुस्तानी

© सर्वाधिकार सुरक्षित

एक सुन्दरी मेरे जीवन मे

इस सुन्दरी पर आधारित लेखमाला जल्दी ही एक नये कम्यूनिटी ब्लाग पर लिखना आरम्भ कर रहा हूँ। आप इस सुन्दरी से परिचय इस लेख के माध्यम से प्राप्त करे। आप भी इससे मिलकर होश खो बैठेंगे।

http://hamarepets.blogspot.com/2008/03/blog-post_8587.html


यदि आप भी इस विषय पर अपने अनुभव बाँटना चाहते है तो ममता जी द्वारा आरम्भ किये गये इस कम्यूनिटी ब्लाग के सदस्य बने।

अपने ही देश मे क्यो दुत्कारी जा रही पारम्परिक चिकित्सा पद्धति?

'आप भारतीय कानून को मानते है तो इनसे दूर रहे। क्यो? क्योकि हमारा कानून इनको नीम-हकीम कहता है। इन्हे इलाज करने की छूट नही है। भले ही विदेशो से वैज्ञानिक आये और इनके ज्ञान के आधार पर दवा बनाकर पेटेंट कराये पर इन पारम्परिक चिकित्सको को यह करने की छूट नही है।'


पूरा लेख इस कडी पर जाकर पढे।

http://traditionalmedicine.agoodplace4all.com/post11.php

Tuesday, March 18, 2008

कही एलर्जी का कारण आपके घर मे ही तो नही है?

एलर्जी फैलाने वाली अमेरिकी वनस्पति गाजर घास के विषय मे आज ज्ञान जी के चिठ्ठे से जाने और अपने आस-पास उग रही गाजर घास को सस्ते मे नियंत्रित कर अपने परिवार विशेषकर बच्चो को एलर्जी और श्वाँस रोगो से मुक्ति दिलवाये।

http://hgdp.blogspot.com/2008/03/blog-post_19.html

Sunday, March 16, 2008

अशोक वृक्ष का पत्ता सिर पर धारण करने से क्या हर कार्य मे सफलता ही मिलती है?

हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? -लेखमाला के तहत इस विषय पर लेख पढे आरम्भ पर

http://aarambha.blogspot.com/2008/03/blog-post_17.html

Thursday, March 13, 2008

क्या आप जानते है एक पेड की कीमत?

यह गुरुवारीय अतिथि लेख आप इस कडी पर पढ सकते है।

क्या आप जानते है एक पेड की कीमत?

कल देर रात रेडियोनामा मे एक लेख प्रकाशित हुआ है। आप इसे कडी पर पढ सकते है।

मेरे आस-पास बोलते रेडियो-4

Wednesday, March 12, 2008

किसान से बडा वैज्ञानिक कोई नही

इसी सन्दर्भ पर ज्ञान जी के चिठ्ठे पर 'खरपतवार बनाम खरपतवार नाशक' लेख पढे।

http://hgdp.blogspot.com/2008/03/blog-post_12.html

Monday, March 10, 2008

क्या बारहसिंघे के सींगो से बना ताबीज पहनने से साँप नही काटता?

हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? इस साप्ताहिक लेखमाला मे आज इस विषय पर लेख पढे आरम्भ पर

http://aarambha.blogspot.com/2008/03/blog-post_10.html

Thursday, March 6, 2008

क्या छत्तीसगढ मे ही एयरटेल की सर्विस ऐसी है?

मैने 999 रुपये वाला इंटरनेट प्लान लिया है। पिछले बीस दिनो से मोडम की लाइट बन्द हो जाती है और नेट कनेक्शन चला जाता है। शिकायत पर शिकायत दर्ज करा रहा हूँ। पर हर बार आखिरी दिन यह सन्देश दिया जाता है कि हमारे आदमी आपके घर तीन बार गये पर कोई मिला नही। इस बार मै लगातार फोन कर रहा हूँ और कह रहा हूँ कि कोई एक्सीक्यूटिव एयरटेल का नाम खराब कर रहा है। आज सुबह से दसो फोन लगा चुका हूँ पर हर बार होल्ड पर रख दिया जा रहा है। फिर कहते है कि एक घंटे मे हमारे अधिकारी बात करेंगे। घंटे समाप्त होने के बाद फिर एक घंटे का समय देते है। मुझे नही लगता कि एयरटेल की मूल भावना मे ग्राहको को ऐसे परेशान करना है। एक बात बता दूँ कि मै हर बार समय से पहले बिल देता हूँ। इस रवैये से त्रस्त होकर मै यही सोच रहा हूँ कि छत्तीसगढ का ही एयरटेल ऐसा है या पूरे देश मे ही ऐसा व्यवहार होता है?

यदि आपके पास और कोई सुविधा के बारे मे जानकारी हो तो बताये। एयरटेल से तो लिखित मे कुछ नही मिलता इसलिये कंस्यूमर फोरम मे जाये तो जाये कैसे?

Tuesday, March 4, 2008

तनाव और किडनी के रोगों में उपयोगी चटनिया

इस विषय मे आज उपयोगी जानकारी प्राप्त करे ज्ञान जी के चिठ्ठे से

http://hgdp.blogspot.com/2008/03/blog-post_05.html


Sunday, March 2, 2008

क्यो कहा जाता है कि जहरीले साँप को देखते ही रुमाल सहित सभी कपडे उस पर डाल देना चाहिये?

हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? इस लेखमाला के तहत आज इस विषय पर लेख के लिये आरम्भ पर पधारे।

http://aarambha.blogspot.com/2008/03/blog-post.html