कुछ दिनो पहले रचना जी ने जानकारी दी थी कि कैसे उनके ब्लाग से सामग्री चुराकर वेबदुनिया मे डाल दी गयी थी। मेरा भी एक लेख चोरी हुआ है। यह लेख ज्ञान जी के मानसिक हलचल ब्लाग पर प्रकाशित हुआ था। मूल लेख का लिंक यह रहा
http://halchal.gyandutt.com/2008/02/blog-post_13.html
और ये है वेबदुनिया का लिंक
http://omnamh.mywebdunia.com/2008/10/06/1223277420000.html
कुछ तो शर्म करो। एक के बाद एक मामले! कुछ तो शर्म करो।
7 comments:
पंकज जी, वेबदुनियां तो सिर्फ फ्री ब्लाग बनाने की सुविधा देती है जैसे ब्लागस्पाट या वर्डप्रेस देता है. यह काम इस सुविधा का लाभ उठारहे ब्लागर ने किया है.
यह ब्लाग किन्ही पवन दीक्षित ने बनाया है और इसमें एक पोस्ट तो शायद डा. अरविन्द मिश्र जी के ब्लाग से ली गयी है.
मुझे विश्वास है कि वेबदुनियां को सूचना दी जाय तो वे इस पर अवश्य कार्यवाही करेंगे.
बात गंभीर है, वेब दुनिया लगातार नकल को प्रोत्साहित कर रही है। उन्हें मेल से चेतावनी दे दें। नहीं सुधरने पर उन के विरुद्ध मुकदमा चलाने की बात करें।
लोगों द्वारा कार्यवाही नहीं करने से ही यह सब बढ़ता रहता है।
धन्यवाद मैथिली जी और दिनेश जी। मैने वेबदुनिया का फीड बैक फार्म भरा है। उनसे पवन का पता माँगा है ताकि उसे नोटिस भेजा जा सके। वेब दुनिया यदि चोरो को शरण दे और पकडे जाने पर केवल चोर को ही जिम्मेदार कहे तो बात हजम नही होती। हम ब्लागरो के लेखो को प्रदर्शित कर ये लोग पैसे कमा रहे है। इन्हे सभी ब्लागरो जिनकी रचनाए चुरायी है, को क्षतिपूर्ति देनी चाहिये। साथ ही उन चोरो पर भी सीधी कार्यवाही करनी चाहिये जिन्होने यह किया है। देखते है ये क्या करते है।
बड़े सीनजोर चोर हैं! :(
ये आपने बहुत सही काम किया है..
वैसे आपकी बात से असहमती भी है.. जैसा आपने कहा है "वेब दुनिया यदि चोरो को शरण दे और पकडे जाने पर केवल चोर को ही जिम्मेदार कहे तो बात हजम नही होती।" अगर ऐसे देखा जाये तो जो भी ब्लौगस्पॉट पर नकल करता है तो जिम्मेदारी गूगल कि बनती है, मगर ऐसा है नहीं..
आपत्ति तो दर्ज़ करवानी ही चाहिए।
वेबदुनिया के ब्लॉगर ने तो ज्ञानदत्त जी के दुमछल्ले को भी नहीं छोड़ा!
और खुद ही 7******* के होटल भी पहुँच गए!!
bade chor log hain is duniya men...
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कभी मेरे शब्द-सृजन (www.kkyadav.blogspot.com)पर भी झाँकें !!
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